रणे रामेण युद्धस्व क्षमां वा कुरु रावण।
न ते रामकथा कार्या यदि मां द्रष्टुमिच्छसि॥ २०॥
अनुवाद
रावण! यदि तुम अपनी इच्छा से श्री राम से युद्ध करना चाहते हो या उन्हें क्षमा करना चाहते हो तो करो, परन्तु यदि तुम मुझे जीवित देखना चाहते हो, तो मेरे सामने श्री राम की चर्चा मत करो।