श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 39: मारीच का रावण को समझाना  »  श्लोक 15
 
 
श्लोक  3.39.15 
 
 
वृक्षे वृक्षे हि पश्यामि चीरकृष्णाजिनाम्बरम्।
गृहीतधनुषं रामं पाशहस्तमिवान्तकम्॥ १५॥
 
 
अनुवाद
 
  अब हर एक वृक्ष में मुझे चीर, काला मृगचर्म और धनुष धारण किए हुए भगवान श्रीराम दिखाई देते हैं, जो मुझे पाशधारी यमराज के समान प्रतीत होते हैं।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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