श्रीराम के बाणों से किसी तरह बच निकलने के बाद मुझे मानो नया जीवन मिला है और तभी से मैंने सन्यास ले लिया है। मैंने सभी बुरे कर्मों का त्याग कर दिया है और अब मैं स्थिरचित्त होकर योगाभ्यास कर रहा हूं। मैं तपस्या में लीन हूं और अपने मन को शांत रख रहा हूं।