त्वद्विध: कामवृत्तो हि दु:शील: पापमन्त्रित:।
आत्मानं स्वजनं राष्ट्रं स राजा हन्ति दुर्मति:॥ ७॥
अनुवाद
‘जो राजा तुम्हारे समान दुराचारी, स्वेच्छाचारी, पापपूर्ण विचार रखनेवाला और खोटी बुद्धिवाला होता है, वह अपना, अपने स्वजनोंका तथा समूचे राष्ट्रका भी विनाश कर डालता है॥ ७॥