श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 37: मारीच का रावण को श्रीरामचन्द्रजी के गुण और प्रभाव बताकर सीताहरण के उद्योग से रोकना  »  श्लोक 6
 
 
श्लोक  3.37.6 
 
 
अपि त्वामीश्वरं प्राप्य कामवृत्तं निरङ्कुशम्।
न विनश्येत् पुरी लङ्का त्वया सह सराक्षसा॥ ६॥
 
 
अनुवाद
 
  ऐसे मनमाने ढंग से शासन करने वाले और यथा-इच्छा आचरण करने वाले राजा को पाकर क्या लंकापुरी भी तुम्हारे साथ और राक्षसों के साथ ही नष्ट न हो जाएगी?
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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