वेदामृत
Reset
Home
ग्रन्थ
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
श्रीमद् भगवद गीता
______________
श्री विष्णु पुराण
श्रीमद् भागवतम
______________
श्रीचैतन्य भागवत
वैष्णव भजन
About
Contact
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
»
काण्ड 3: अरण्य काण्ड
»
सर्ग 37: मारीच का रावण को श्रीरामचन्द्रजी के गुण और प्रभाव बताकर सीताहरण के उद्योग से रोकना
»
श्लोक 5
श्लोक
3.37.5
अपि ते जीवितान्ताय नोत्पन्ना जनकात्मजा।
अपि सीतानिमित्तं च न भवेद् व्यसनं महत्॥ ५॥
अनुवाद
play_arrowpause
क्या जनक की पुत्री सीता तुम्हारे जीवन को समाप्त करने के लिए उत्पन्न हुई है? ऐसा तो नहीं है कि सीता के कारण तुम पर कोई बहुत बड़ी विपत्ति आ जाए?
Connect Form
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
© copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.