श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 37: मारीच का रावण को श्रीरामचन्द्रजी के गुण और प्रभाव बताकर सीताहरण के उद्योग से रोकना  »  श्लोक 23-24
 
 
श्लोक  3.37.23-24 
 
 
स सर्वै: सचिवै: सार्धं विभीषणपुरस्कृतै:।
मन्त्रयित्वा स धर्मिष्ठै: कृत्वा निश्चयमात्मन:।
दोषाणां च गुणानां च सम्प्रधार्य बलाबलम्॥ २३॥
आत्मनश्च बलं ज्ञात्वा राघवस्य च तत्त्वत:।
हितं हि तव निश्चित्य क्षमं त्वं कर्तुमर्हसि॥ २४॥
 
 
अनुवाद
 
  विभीषण आदि सभी नीतिज्ञ सलाहकारों के साथ मशविरा करके अपने कर्तव्यों का निर्णय लेना चाहिए। अपनी और श्री राम की खूबियों, कमियों और शक्ति साधनों का भलीभाँति विश्लेषण कर लेना चाहिए। उसके बाद, क्या करना आपके हित में होगा, इसका निर्णय लेकर, जो उचित लगे, वही कार्य करें।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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