श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 37: मारीच का रावण को श्रीरामचन्द्रजी के गुण और प्रभाव बताकर सीताहरण के उद्योग से रोकना  »  श्लोक 22
 
 
श्लोक  3.37.22 
 
 
जीवितं च सुखं चैव राज्यं चैव सुदुर्लभम्।
यदीच्छसि चिरं भोक्तुं मा कृथा रामविप्रियम्॥ २२॥
 
 
अनुवाद
 
  श्री राम के प्रति कृतघ्न मत बनो, क्योंकि जीवन, सुख और राज्य तीनों ही दुर्लभ हैं और यदि तुम इनका चिरकाल तक उपभोग करना चाहते हो तो श्री राम की सेवा करो और उनका अपमान मत करो।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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