श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 37: मारीच का रावण को श्रीरामचन्द्रजी के गुण और प्रभाव बताकर सीताहरण के उद्योग से रोकना  »  श्लोक 20
 
 
श्लोक  3.37.20 
 
 
न सा धर्षयितुं शक्या मैथिल्योजस्विन: प्रिया।
दीप्तस्येव हुताशस्य शिखा सीता सुमध्यमा॥ २०॥
 
 
अनुवाद
 
  मैथिली राजा जानकी की पुत्री सीता महापराक्रमी श्री राम जी की प्रिय पत्नी हैं। वे प्रज्वलित अग्नि की ज्वाला की तरह तेजस्विनी हैं, इसलिए उस सुंदर सीता का बलात्कार नहीं किया जा सकता।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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