श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 37: मारीच का रावण को श्रीरामचन्द्रजी के गुण और प्रभाव बताकर सीताहरण के उद्योग से रोकना  »  श्लोक 11
 
 
श्लोक  3.37.11 
 
 
कैकेय्या: प्रियकामार्थं पितुर्दशरथस्य च।
हित्वा राज्यं च भोगांश्च प्रविष्टो दण्डकावनम्॥ ११॥
 
 
अनुवाद
 
  केकयी और उनके पिता राजा दशरथ को प्रसन्न करने की इच्छा के कारण वे स्वयं राज्य छोड़कर और सुखों का त्याग करके दंडक वन चले गए।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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