धर्मात्मा श्रीराम ने जब देखा कि रानी कैकेयी ने पिता को धोखे में डालकर उनके वनवास का वर माँग लिया है, तो उन्होंने मन-ही-मन यह निश्चय किया कि वे अपने पिता को सत्यवादी बनाएँगे। अर्थात् वे पिता के दिए हुए वचन को पूरा करेंगे। इस निश्चय के अनुसार वे स्वयं ही वन को चल दिए।