श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 36: रावण का मारीच से श्रीराम के अपराध बताकर उनकी पत्नी सीता के अपहरण में सहायता के लिये कहना  »  श्लोक 23
 
 
श्लोक  3.36.23 
 
 
ओष्ठौ परिलिहन् शुष्कौ नेत्रैरनिमिषैरिव।
मृतभूत इवार्तस्तु रावणं समुदैक्षत॥ २३॥
 
 
अनुवाद
 
  वह अपने सूखे ओठों को चाटते हुए उसे दृष्टि से हटाए बिना निहारने लगा। इतने दुख से उसका चेहरा मुरझा गया और वह मृतक जैसा दिखने लगा। उसी स्थिति में उसने रावण की ओर देखा।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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