वेदामृत
Reset
Home
ग्रन्थ
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
श्रीमद् भगवद गीता
______________
श्री विष्णु पुराण
श्रीमद् भागवतम
______________
श्रीचैतन्य भागवत
वैष्णव भजन
About
Contact
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
»
काण्ड 3: अरण्य काण्ड
»
सर्ग 36: रावण का मारीच से श्रीराम के अपराध बताकर उनकी पत्नी सीता के अपहरण में सहायता के लिये कहना
»
श्लोक 23
श्लोक
3.36.23
ओष्ठौ परिलिहन् शुष्कौ नेत्रैरनिमिषैरिव।
मृतभूत इवार्तस्तु रावणं समुदैक्षत॥ २३॥
अनुवाद
play_arrowpause
वह अपने सूखे ओठों को चाटते हुए उसे दृष्टि से हटाए बिना निहारने लगा। इतने दुख से उसका चेहरा मुरझा गया और वह मृतक जैसा दिखने लगा। उसी स्थिति में उसने रावण की ओर देखा।
Connect Form
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
© copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.