श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 36: रावण का मारीच से श्रीराम के अपराध बताकर उनकी पत्नी सीता के अपहरण में सहायता के लिये कहना  »  श्लोक 22
 
 
श्लोक  3.36.22 
 
 
तस्य रामकथां श्रुत्वा मारीचस्य महात्मन:।
शुष्कं समभवद् वक्त्रं परित्रस्तो बभूव च॥ २२॥
 
 
अनुवाद
 
  रावण के मुँह से श्री रामचन्द्र जी की चर्चा सुनकर महात्मा मारीच का मुँह सूख गया। वह भय से काँप उठा।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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