श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 36: रावण का मारीच से श्रीराम के अपराध बताकर उनकी पत्नी सीता के अपहरण में सहायता के लिये कहना  »  श्लोक 21
 
 
श्लोक  3.36.21 
 
 
तत: पश्चात् सुखं रामे भार्याहरणकर्शिते।
विश्रब्धं प्रहरिष्यामि कृतार्थेनान्तरात्मना॥ २१॥
 
 
अनुवाद
 
  "जब राम अपनी पत्नी के अपहरण से दुखी और कमज़ोर हो जाएँगे, तो मैं निडरता से और सुखपूर्वक उन पर प्रहार करूँगा, और अपने मन में कृतार्थ हो जाऊँगा।"
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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