श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 36: रावण का मारीच से श्रीराम के अपराध बताकर उनकी पत्नी सीता के अपहरण में सहायता के लिये कहना  »  श्लोक 2-3
 
 
श्लोक  3.36.2-3 
 
 
जानीषे त्वं जनस्थानं भ्राता यत्र खरो मम।
दूषणश्च महाबाहु: स्वसा शूर्पणखा च मे॥ २॥
त्रिशिराश्च महाबाहू राक्षस: पिशिताशन:।
अन्ये च बहव: शूरा लब्धलक्षा निशाचरा:॥ ३॥
 
 
अनुवाद
 
  तुम उस स्थान को जानते हो जहाँ मेरे भाई खर, महाबलशाली दूषण, मेरी बहन शूर्पणखा, मांसाहारी राक्षस विशाल भुजाओं वाला त्रिशिरा, और कई अन्य कुशल लक्ष्यवेध करने वाले राक्षस निवास करते थे।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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