वेदामृत
Reset
Home
ग्रन्थ
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
श्रीमद् भगवद गीता
______________
श्री विष्णु पुराण
श्रीमद् भागवतम
______________
श्रीचैतन्य भागवत
वैष्णव भजन
About
Contact
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
»
काण्ड 3: अरण्य काण्ड
»
सर्ग 36: रावण का मारीच से श्रीराम के अपराध बताकर उनकी पत्नी सीता के अपहरण में सहायता के लिये कहना
»
श्लोक 19
श्लोक
3.36.19
त्वां तु नि:संशयं सीता दृष्ट्वा तु मृगरूपिणम्।
गृह्यतामिति भर्तारं लक्ष्मणं चाभिधास्यति॥ १९॥
अनुवाद
play_arrowpause
सीता तुम्हें मृग रूप में देखकर निसंदेह अपने पति राम और लक्ष्मण से कहेगी कि इसे पकड़ो।
Connect Form
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
© copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.