वेदामृत
Reset
Home
ग्रन्थ
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
श्रीमद् भगवद गीता
______________
श्री विष्णु पुराण
श्रीमद् भागवतम
______________
श्रीचैतन्य भागवत
वैष्णव भजन
About
Contact
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
»
काण्ड 3: अरण्य काण्ड
»
सर्ग 36: रावण का मारीच से श्रीराम के अपराध बताकर उनकी पत्नी सीता के अपहरण में सहायता के लिये कहना
»
श्लोक 18
श्लोक
3.36.18
सौवर्णस्त्वं मृगो भूत्वा चित्रो रजतबिन्दुभि:।
आश्रमे तस्य रामस्य सीताया: प्रमुखे चर॥ १८॥
अनुवाद
play_arrowpause
सौवर्ण रूपी मृग बनकर चाँदी के धब्बों से चितकबरा हो जाओ और राम के आश्रम में सीता के सामने विचरण करो।
Connect Form
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
© copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.