श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 36: रावण का मारीच से श्रीराम के अपराध बताकर उनकी पत्नी सीता के अपहरण में सहायता के लिये कहना  »  श्लोक 18
 
 
श्लोक  3.36.18 
 
 
सौवर्णस्त्वं मृगो भूत्वा चित्रो रजतबिन्दुभि:।
आश्रमे तस्य रामस्य सीताया: प्रमुखे चर॥ १८॥
 
 
अनुवाद
 
  सौवर्ण रूपी मृग बनकर चाँदी के धब्बों से चितकबरा हो जाओ और राम के आश्रम में सीता के सामने विचरण करो।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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