श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 36: रावण का मारीच से श्रीराम के अपराध बताकर उनकी पत्नी सीता के अपहरण में सहायता के लिये कहना  »  श्लोक 17
 
 
श्लोक  3.36.17 
 
 
एतदर्थमहं प्राप्तस्त्वत्समीपं निशाचर।
शृणु तत् कर्म साहाय्ये यत् कार्यं वचनान्मम॥ १७॥
 
 
अनुवाद
 
  तुम्हारी सहायता के लिए मैं तुम्हारे पास पहुँचा हूँ। अब तुम ध्यान से सुनो कि तुम्हें मेरे कहने के अनुसार कौन-सा काम करना है।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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