श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 36: रावण का मारीच से श्रीराम के अपराध बताकर उनकी पत्नी सीता के अपहरण में सहायता के लिये कहना  »  श्लोक 14-15
 
 
श्लोक  3.36.14-15 
 
 
त्वया ह्यहं सहायेन पार्श्वस्थेन महाबल॥ १४॥
भ्रातृभिश्च सुरान् सर्वान् नाहमत्राभिचिन्तये।
तत्सहायो भव त्वं मे समर्थो ह्यसि राक्षस॥ १५॥
 
 
अनुवाद
 
  महाबली राक्षस! अपने जैसों की सहायता से और अपने भाइयों के बल पर ही मैं समस्त देवताओं की यहाँ कोई परवा नहीं करता, अतः तुम मेरे सहायक हो जाओ; क्योंकि तुम मेरी सहायता करने में समर्थ हो।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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