वेदामृत
Reset
Home
ग्रन्थ
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
श्रीमद् भगवद गीता
______________
श्री विष्णु पुराण
श्रीमद् भागवतम
______________
श्रीचैतन्य भागवत
वैष्णव भजन
About
Contact
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
»
काण्ड 3: अरण्य काण्ड
»
सर्ग 36: रावण का मारीच से श्रीराम के अपराध बताकर उनकी पत्नी सीता के अपहरण में सहायता के लिये कहना
»
श्लोक 14-15
श्लोक
3.36.14-15
त्वया ह्यहं सहायेन पार्श्वस्थेन महाबल॥ १४॥
भ्रातृभिश्च सुरान् सर्वान् नाहमत्राभिचिन्तये।
तत्सहायो भव त्वं मे समर्थो ह्यसि राक्षस॥ १५॥
अनुवाद
play_arrowpause
महाबली राक्षस! अपने जैसों की सहायता से और अपने भाइयों के बल पर ही मैं समस्त देवताओं की यहाँ कोई परवा नहीं करता, अतः तुम मेरे सहायक हो जाओ; क्योंकि तुम मेरी सहायता करने में समर्थ हो।
Connect Form
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
© copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.