श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 35: रावण का समुद्रतटवर्ती प्रान्त की शोभा देखते हुए पुनः मारीच के पास जाना  »  श्लोक 8-9
 
 
श्लोक  3.35.8-9 
 
 
स श्वेतवालव्यजन: श्वेतच्छत्रो दशानन:।
स्निग्धवैदूर्यसंकाशस्तप्तकाञ्चनभूषण:॥ ८॥
दशग्रीवो विंशतिभुजो दर्शनीयपरिच्छद:।
त्रिदशारिर्मुनीन्द्रघ्नो दशशीर्ष इवाद्रिराट्॥ ९॥
 
 
अनुवाद
 
  उस समय रावण के लिए सफेद चँवर से हवा की जा रही थी। उसके सिर के ऊपर सफेद छत्र तना हुआ था। उसकी देह का रंग स्निग्ध वैदूर्यमणि के समान नीला या काला था। वह पक्के सोने के आभूषणों से विभूषित था। उसके दस मुख, दस कण्ठ और बीस भुजाएँ थीं। उसके वस्त्र, आभूषण और अन्य उपकरण भी देखने ही योग्य थे। देवताओं का शत्रु और ऋषि-मुनियों का हत्यारा वह राक्षस दस शिखरों वाले पर्वतराज के समान प्रतीत होता था।
 
 
 
  Connect Form
  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
  © copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.