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श्लोक 3.35.42  |
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एवमुक्तो महातेजा मारीचेन स रावण:।
तत: पश्चादिदं वाक्यमब्रवीद् वाक्यकोविद:॥ ४२॥ |
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अनुवाद |
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मारीच के इस प्रश्न के बाद वाक्य-कौशल में निपुण महातेजस्वी रावण ने उससे इस प्रकार कहा। |
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इत्यार्षे श्रीमद्रामायणे वाल्मीकीये आदिकाव्येऽरण्यकाण्डे पञ्चत्रिंश: सर्ग:॥ ३५॥
इस प्रकार श्रीवाल्मीकिनिर्मित आर्षरामायण आदिकाव्यके अरण्यकाण्डमें पैंतीसवाँ सर्ग पूरा हुआ॥ ३५॥ |
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