श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 35: रावण का समुद्रतटवर्ती प्रान्त की शोभा देखते हुए पुनः मारीच के पास जाना  »  श्लोक 36
 
 
श्लोक  3.35.36 
 
 
तं महर्षिगणैर्जुष्टं सुपर्णकृतलक्षणम्।
नाम्ना सुभद्रं न्यग्रोधं ददर्श धनदानुज:॥ ३६॥
 
 
अनुवाद
 
  बरगद के पेड़ पर गरुड़ के द्वारा तोड़ी गई डाल का निशान अब भी मौजूद था। उस पेड़ का नाम सुभद्रवट था और कई महर्षि इसकी छाया में निवास करते थे। कुबेर के छोटे भाई रावण ने उस वटवृक्ष को देखा।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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