गरुड़ ने दया दिखाकर उनके जीवन की रक्षा करने के लिए पक्षियों में सबसे श्रेष्ठ धर्मात्मा गरुड़ ने उस टूटी हुई सौ योजन लंबी शाखा को और उन दोनों हाथी और कछुओं को भी तेज़ी से एक ही पंजे से पकड़ लिया। फिर आकाश में ही दोनों जानवरों का मांस खाकर फेंकी गई उस शाखा से निषाद देश का विनाश कर डाला। उस समय पूर्वोक्त महामुनियों को मृत्यु के संकट से बचाने से गरुड़ को बेजोड़ खुशी मिली।