श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 35: रावण का समुद्रतटवर्ती प्रान्त की शोभा देखते हुए पुनः मारीच के पास जाना  »  श्लोक 28-29h
 
 
श्लोक  3.35.28-29h 
 
 
यस्य हस्तिनमादाय महाकायं च कच्छपम्॥ २८॥
भक्षार्थं गरुड: शाखामाजगाम महाबल:।
 
 
अनुवाद
 
  यही वह वृक्ष था, जिसकी शाखा पर महान शक्ति वाले गरुड़ एक बार एक विशाल हाथी और कछुआ को लेकर उसे खाने के लिए बैठे थे।
 
 
 
  Connect Form
  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
  © copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.