श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 35: रावण का समुद्रतटवर्ती प्रान्त की शोभा देखते हुए पुनः मारीच के पास जाना  »  श्लोक 13
 
 
श्लोक  3.35.13 
 
 
कदल्यटविसंशोभं नारिकेलोपशोभितम्।
सालैस्तालैस्तमालैश्च तरुभिश्च सुपुष्पितै:॥ १३॥
 
 
अनुवाद
 
  कहीं कदली के वन और कहीं नारियल के कुंज सौंदर्य प्रदान कर रहे थे। साल, ताड़, तमाल और सुंदर फूलों से भरे हुए अन्य वृक्ष उस तटप्रांतीय क्षेत्र को अलंकृत कर रहे थे।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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