श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 34: रावण के पूछने पर शर्पणखा का उससे राम, लक्ष्मण और सीता का परिचय देते हुए सीता को भार्या बनाने के लिये उसे प्रेरित करना  »  श्लोक 6-7h
 
 
श्लोक  3.34.6-7h 
 
 
शक्रचापनिभं चापं विकृष्य कनकाङ्गदम्॥ ६॥
दीप्तान् क्षिपति नाराचान् सर्पानिव महाविषान्।
 
 
अनुवाद
 
  श्रीराम अपने धनुष को खींचते हैं, जो कि इन्द्रधनुष के समान सुन्दर है और जिसमें सोने के छल्ले लगे हैं। वह उस धनुष से सर्पों के समान विषैले तेजस्वी बाणों की वर्षा करते हैं।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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