श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 34: रावण के पूछने पर शर्पणखा का उससे राम, लक्ष्मण और सीता का परिचय देते हुए सीता को भार्या बनाने के लिये उसे प्रेरित करना  »  श्लोक 4
 
 
श्लोक  3.34.4 
 
 
तत्त्वं ब्रूहि मनोज्ञाङ्गि केन त्वं च विरूपिता।
इत्युक्ता राक्षसेन्द्रेण राक्षसी क्रोधमूर्च्छिता॥ ४॥
 
 
अनुवाद
 
  "मनोहर अंगों वाली शूर्पणखे! सच बताओ, किसने तुम्हें इस बुरी तरह से तोड़-मरोड़कर, नाक-कान काटकर विकृत कर दिया है?" राक्षसराज रावण के ये शब्द सुनकर शूर्पणखा अत्यंत क्रोधित हुई और बेहोश होने लगी।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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