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श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
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काण्ड 3: अरण्य काण्ड
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सर्ग 34: रावण के पूछने पर शर्पणखा का उससे राम, लक्ष्मण और सीता का परिचय देते हुए सीता को भार्या बनाने के लिये उसे प्रेरित करना
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श्लोक 16
श्लोक
3.34.16
सा सुकेशी सुनासोरू: सुरूपा च यशस्विनी।
देवतेव वनस्यास्य राजते श्रीरिवापरा॥ १६॥
अनुवाद
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उनके सुन्दर केश, आकर्षक नाक, सुडौल जांघें और मनोरम रूप हैं। वह यशस्वी राजकुमारी इस दंडक वन की देवी जैसी प्रतीत होती हैं और दूसरी लक्ष्मी के समान शोभा पाती हैं। उनकी सुंदरता और यश पूरे वन में छाए हुए हैं, जिससे यह वन भी धन्य हो गया है।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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