श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 32: शूर्पणखा का लंका में रावण के पास जाना  »  श्लोक 8-9
 
 
श्लोक  3.32.8-9 
 
 
विंशद्भुजं दशग्रीवं दर्शनीयपरिच्छदम्।
विशालवक्षसं वीरं राजलक्षणलक्षितम्॥ ८॥
नद्धवैदूर्यसंकाशं तप्तकाञ्चनभूषणम्।
सुभुजं शुक्लदशनं महास्यं पर्वतोपमम्॥ ९॥
 
 
अनुवाद
 
  उसके बीस भुजाएँ और दस सिर थे। उसके छत्र, चँवर और आभूषण आदि सामग्री देखने में बहुत सुंदर थी। उसका सीना बहुत चौड़ा था। वह वीर पुरुषों के लक्षणों से युक्त दिखाई दे रहा था। उसने अपने शरीर में जो नीलमणि का आभूषण पहना हुआ था, उसके समान ही उसके शरीर की कान्ति भी नीले रंग की थी। उसने तपाये हुए सोने के आभूषण भी पहन रखे थे। उसकी भुजाएँ सुंदर थीं, दाँत सफेद थे, मुँह बहुत बड़ा था और शरीर पर्वत के समान विशाल था।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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