श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 32: शूर्पणखा का लंका में रावण के पास जाना  »  श्लोक 4
 
 
श्लोक  3.32.4 
 
 
सा ददर्श विमानाग्रे रावणं दीप्ततेजसम्।
उपोपविष्टं सचिवैर्मरुद्भिरिव वासवम्॥ ४॥
 
 
अनुवाद
 
  वहाँ पहुँचकर राम ने देखा, रावण पुष्पक विमान के सबसे ऊपर के मंच पर बैठा था। उसका तेज इस कदर बढ़ा हुआ था कि सूरज को भी मात दे रहा था। वो ऐसे बैठा था मानो स्वयं इन्द्र हों, जिनके आस-पास मरुद्गण बैठे हुए हैं।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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