श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 32: शूर्पणखा का लंका में रावण के पास जाना  »  श्लोक 25
 
 
श्लोक  3.32.25 
 
 
तमब्रवीद् दीप्तविशाललोचनं
प्रदर्शयित्वा भयलोभमोहिता।
सुदारुणं वाक्यमभीतचारिणी
महात्मना शूर्पणखा विरूपिता॥ २५॥
 
 
अनुवाद
 
  महात्मा लक्ष्मण के द्वारा नाक-कान काटकर कुरूप बना दी गई शूर्पणखा भय और लोभ से मोहित हो गई। इस हालत में उसने अपने आप को बड़े-बड़े चमकीले नेत्रों वाले अत्यंत क्रूर रावण को दिखाया और उससे कहा।
 
 
इत्यार्षे श्रीमद्रामायणे वाल्मीकीये आदिकाव्येऽरण्यकाण्डे द्वात्रिंश: सर्ग: ॥ ३ २॥
इस प्रकार श्रीवाल्मीकिनिर्मित आर्षरामायण आदिकाव्यके अरण्यकाण्डमें बत्तीसवाँ सर्ग पूरा हुआ ॥ ३ २॥
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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