महात्मा लक्ष्मण के द्वारा नाक-कान काटकर कुरूप बना दी गई शूर्पणखा भय और लोभ से मोहित हो गई। इस हालत में उसने अपने आप को बड़े-बड़े चमकीले नेत्रों वाले अत्यंत क्रूर रावण को दिखाया और उससे कहा।
इत्यार्षे श्रीमद्रामायणे वाल्मीकीये आदिकाव्येऽरण्यकाण्डे द्वात्रिंश: सर्ग: ॥ ३ २॥
इस प्रकार श्रीवाल्मीकिनिर्मित आर्षरामायण आदिकाव्यके अरण्यकाण्डमें बत्तीसवाँ सर्ग पूरा हुआ ॥ ३ २॥