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श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
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काण्ड 3: अरण्य काण्ड
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सर्ग 32: शूर्पणखा का लंका में रावण के पास जाना
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श्लोक 24
श्लोक
3.32.24
उपगम्याब्रवीद् वाक्यं राक्षसी भयविह्वला।
रावणं शत्रुहन्तारं मन्त्रिभि: परिवारितम्॥ २४॥
अनुवाद
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भय से काँपती हुई उस राक्षसी ने मंत्रियों से घिरे हुए शत्रुहंता भाई रावण के पास जाकर कुछ कहने का प्रयास किया।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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