श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 32: शूर्पणखा का लंका में रावण के पास जाना  »  श्लोक 22-23
 
 
श्लोक  3.32.22-23 
 
 
तं दिव्यवस्त्राभरणं दिव्यमाल्योपशोभितम्॥ २२॥
आसने सूपविष्टं तं काले कालमिवोद्यतम्।
राक्षसेन्द्रं महाभागं पौलस्त्यकुलनन्दनम्॥ २३॥
 
 
अनुवाद
 
  वह राक्षसराज दशग्रीव दिव्य वस्त्रों और आभूषणों से सुसज्जित था। दिव्य पुष्पों की मालाएँ उसकी सुंदरता में चार चाँद लगा रही थीं। सिंहासन पर बैठा हुआ वह पुलस्त्य वंश का महाभाग दिखने में प्रलय काल में संहार के लिए उद्यत हुए महाकाल के समान जान पड़ता था।
 
 
 
  Connect Form
  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
  © copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.