श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 32: शूर्पणखा का लंका में रावण के पास जाना  »  श्लोक 20-21h
 
 
श्लोक  3.32.20-21h 
 
 
प्राप्तयज्ञहरं दुष्टं ब्रह्मघ्नं क्रूरकारिणम्॥ २०॥
कर्कशं निरनुक्रोशं प्रजानामहिते रतम्।
 
 
अनुवाद
 
  समाप्तिके निकट पहुँचे हुए यज्ञोंका नाश करनेवाला वह दुष्ट राक्षस ब्राह्मणोंकी हत्या तथा अन्य क्रूर कर्म करता था। वह बहुत कठोर स्वभावका और निर्दयी था। वह हमेशा प्रजा के अहित में लगा रहता था।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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