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श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
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सर्ग 32: शूर्पणखा का लंका में रावण के पास जाना
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श्लोक 18-19h
श्लोक
3.32.18-19h
देवदानवगन्धर्वपिशाचपतगोरगै:॥ १८॥
अभयं यस्य संग्रामे मृत्युतो मानुषादृते।
अनुवाद
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उसके प्रभाव से देवता, दानव, गंधर्व, पिशाच, पक्षी और साँप भी संग्राम में उससे डरते थे। मनुष्य के अलावा किसी के हाथों उसे मृत्यु का भय नहीं था।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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