श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 32: शूर्पणखा का लंका में रावण के पास जाना  »  श्लोक 12
 
 
श्लोक  3.32.12 
 
 
क्षेप्तारं पर्वताग्राणां सुराणां च प्रमर्दनम्।
उच्छेत्तारं च धर्माणां परदाराभिमर्शनम्॥ १२॥
 
 
अनुवाद
 
  पहाड़ों की चोटियों को भी तोड़कर फेंकता था, देवताओं को भी रौंद डालता था। धर्म की जड़ों को भी काट देता था और दूसरी महिलाओं के सतीत्व का नाश करने वाला था।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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