श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 32: शूर्पणखा का लंका में रावण के पास जाना  »  श्लोक 11
 
 
श्लोक  3.32.11 
 
 
अहताङ्गै: समस्तैस्तं देवप्रहरणैस्तदा।
अक्षोभ्याणां समुद्राणां क्षोभणं क्षिप्रकारिणम्॥ ११॥
 
 
अनुवाद
 
  देवताओं के समस्त आयुधों के प्रहार सहकर भी अक्षत रहने वाले उनके अंगों के कारण समुद्र में भी हलचल पैदा हो जाती थी। वह बड़े शीघ्रता से कार्य (आक्रमण) करते थे।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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