श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 32: शूर्पणखा का लंका में रावण के पास जाना  »  श्लोक 1-2
 
 
श्लोक  3.32.1-2 
 
 
तत: शूर्पणखा दृष्ट्वा सहस्राणि चतुर्दश।
हतान्येकेन रामेण रक्षसां भीमकर्मणाम्॥ १॥
दूषणं च खरं चैव हतं त्रिशिरसं रणे।
दृष्ट्वा पुनर्महानादान् ननाद जलदोपमा॥ २॥
 
 
अनुवाद
 
  शार्पणखा ने देखा कि श्री राम ने चौदह हजार भीमकर्मी राक्षसों को अकेले ही मार डाला, और युद्ध के मैदान में दूषण, खर और त्रिशिरा को भी मौत के घाट उतार दिया। यह देखकर वह शोक के कारण जोर-जोर से चिल्लाने लगी, उसकी आवाज मेघ की गर्जना की तरह थी।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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