दशग्रीवोऽभयं तस्मै प्रददौ रक्षसां वर:।
स विस्रब्धोऽब्रवीद् वाक्यमसंदिग्धमकम्पन:॥ ९॥
अनुवाद
तब राक्षसों के सबसे श्रेष्ठ राजा रावण ने अकम्पन को अभयदान दिया। इससे अकम्पन के मन में अपने प्राणों के बचने का विश्वास पैदा हो गया और वह बिना किसी संशय के बोला—।