श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 31: रावण का अकम्पन की सलाह से सीता का अपहरण करने के लिये जाना और मारीच के कहने से लङ्का को लौट आना  »  श्लोक 9
 
 
श्लोक  3.31.9 
 
 
दशग्रीवोऽभयं तस्मै प्रददौ रक्षसां वर:।
स विस्रब्धोऽब्रवीद् वाक्यमसंदिग्धमकम्पन:॥ ९॥
 
 
अनुवाद
 
  तब राक्षसों के सबसे श्रेष्ठ राजा रावण ने अकम्पन को अभयदान दिया। इससे अकम्पन के मन में अपने प्राणों के बचने का विश्वास पैदा हो गया और वह बिना किसी संशय के बोला—।
 
 
 
  Connect Form
  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
  © copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.