श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 31: रावण का अकम्पन की सलाह से सीता का अपहरण करने के लिये जाना और मारीच के कहने से लङ्का को लौट आना  »  श्लोक 8
 
 
श्लोक  3.31.8 
 
 
तथा क्रुद्धं दशग्रीवं कृताञ्जलिरकम्पन:।
भयात् संदिग्धया वाचा रावणं याचतेऽभयम्॥ ८॥
 
 
अनुवाद
 
  दशग्रीव (रावण) को इस प्रकार क्रोध से भरा देख अकम्पन भयभीत हो गया और उसकी बोलती बंद हो गई। उसने हाथ जोड़कर और संदेह से भरी आवाज़ में रावण से अभयदान का अनुरोध किया।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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