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श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
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काण्ड 3: अरण्य काण्ड
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सर्ग 31: रावण का अकम्पन की सलाह से सीता का अपहरण करने के लिये जाना और मारीच के कहने से लङ्का को लौट आना
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श्लोक 7
श्लोक
3.31.7
वातस्य तरसा वेगं निहन्तुमपि चोत्सहे।
दहेयमपि संक्रुद्धस्तेजसाऽऽदित्यपावकौ॥ ७॥
अनुवाद
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यदि मैं क्रोधित हो जाऊँ तो तेज हवा के वेग को भी अपनी शक्ति से रोक सकता हूँ और अपने प्रचंड तेज से सूर्य और आग को भी जलाकर भस्म कर सकता हूँ।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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