रावण! रघुकुल के श्रीराम वह गंधयुत गजराज समान हैं, जिसकी गंध से ही गज-रूपी योद्धा दूर भाग खड़े होते हैं। विशुद्ध कुल में जन्म लेना ही उस श्रीराम नामक गजराज का सूंड-दंड है, प्रताप ही उनका मद है और सुडौल बाहें ही उनके दाँत हैं। युद्ध में उनपर दृष्टि डालना भी तुम्हारे लिए उचित नहीं, फिर युद्ध की बात तो और भी क्या है।