श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 31: रावण का अकम्पन की सलाह से सीता का अपहरण करने के लिये जाना और मारीच के कहने से लङ्का को लौट आना  »  श्लोक 43
 
 
श्लोक  3.31.43 
 
 
सीतामिहानयस्वेति को ब्रवीति ब्रवीहि मे।
रक्षोलोकस्य सर्वस्य क: शृङ्गं छेत्तुमिच्छति॥ ४३॥
 
 
अनुवाद
 
  सीताजी को यहाँ हर लाने की बात कौन कर रहा है? मुझे उसका नाम बताओ। वह कौन है, जो समस्त राक्षसों की शक्ति और सम्मान नष्ट करना चाहता है?
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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