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श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
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काण्ड 3: अरण्य काण्ड
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सर्ग 31: रावण का अकम्पन की सलाह से सीता का अपहरण करने के लिये जाना और मारीच के कहने से लङ्का को लौट आना
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श्लोक 41
श्लोक
3.31.41
तस्य मे कुरु साचिव्यं तस्य भार्यापहारणे।
राक्षसेन्द्रवच: श्रुत्वा मारीचो वाक्यमब्रवीत्॥ ४१॥
अनुवाद
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राक्षसराज रावण ने मारीच से कहा, "उसके द्वारा किए गए अपमान का बदला लेने के लिए, मैं उसकी पत्नी का अपहरण करना चाहता हूँ। इस काम में तुम मेरी मदद करो।" रावण की बात सुनकर मारीच ने कहा-।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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