श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 31: रावण का अकम्पन की सलाह से सीता का अपहरण करने के लिये जाना और मारीच के कहने से लङ्का को लौट आना  »  श्लोक 40
 
 
श्लोक  3.31.40 
 
 
आरक्षो मे हतस्तात रामेणाक्लिष्टकारिणा।
जनस्थानमवध्यं तत् सर्वं युधि निपातितम्॥ ४०॥
 
 
अनुवाद
 
  पिताजी! स्वभाव से ही महान शूरवीरता दिखाने वाले श्रीराम ने मेरे राज्य की सीमाओं की रक्षा करने वाले खर-दूषण आदि राक्षसों को मार डाला है, और जिस स्थान को अवध्य जनस्थान समझा जाता था, वहाँ के सभी राक्षसों को उन्होंने युद्ध में मौत के घाट उतार दिया है।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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