श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 31: रावण का अकम्पन की सलाह से सीता का अपहरण करने के लिये जाना और मारीच के कहने से लङ्का को लौट आना  »  श्लोक 34
 
 
श्लोक  3.31.34 
 
 
तदेवमुक्त्वा प्रययौ खरयुक्तेन रावण:।
रथेनादित्यवर्णेन दिश: सर्वा: प्रकाशयन्॥ ३४॥
 
 
अनुवाद
 
  तदनुसार यह कहकर रावण समस्त दिशाओं को प्रकाशित करने वाले सूर्य के समान चमकते हुए अपने रथ पर सवार हुआ, जो गधों से जुता हुआ था, और वहाँ से प्रस्थान कर गया।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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