श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 31: रावण का अकम्पन की सलाह से सीता का अपहरण करने के लिये जाना और मारीच के कहने से लङ्का को लौट आना  »  श्लोक 32
 
 
श्लोक  3.31.32 
 
 
अरोचयत तद्वाक्यं रावणो राक्षसाधिप:।
चिन्तयित्वा महाबाहुरकम्पनमुवाच ह॥ ३२॥
 
 
अनुवाद
 
  राक्षसराज रावण को अकम्पन की बात पसंद आ गई, लेकिन उन्होंने इस पर विचार किया और उसके बाद अकम्पन से बोले।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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