श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 31: रावण का अकम्पन की सलाह से सीता का अपहरण करने के लिये जाना और मारीच के कहने से लङ्का को लौट आना  »  श्लोक 30
 
 
श्लोक  3.31.30 
 
 
नैव देवी न गन्धर्वी नाप्सरा न च पन्नगी।
तुल्या सीमन्तिनी तस्या मानुषी तु कुतो भवेत्॥ ३०॥
 
 
अनुवाद
 
  देवकन्या, गंधर्वकन्या, अप्सरा अथवा नागकन्या में से कोई भी उसकी समकक्ष नहीं हो सकती, फिर मनुष्य जाति की अन्य कोई नारी उसकी बराबरी कैसे कर सकती है।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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