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श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
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काण्ड 3: अरण्य काण्ड
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सर्ग 31: रावण का अकम्पन की सलाह से सीता का अपहरण करने के लिये जाना और मारीच के कहने से लङ्का को लौट आना
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श्लोक 27
श्लोक
3.31.27
नहि रामो दशग्रीव शक्यो जेतुं रणे त्वया।
रक्षसां वापि लोकेन स्वर्ग: पापजनैरिव॥ २७॥
अनुवाद
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दशग्रीव! जैसे कोई पापी व्यक्ति स्वर्ग का अधिकार नहीं प्राप्त कर सकता, उसी प्रकार तुम या तुम्हारे साथ संपूर्ण राक्षस-जगत भगवान श्रीराम को युद्ध में हरा नहीं सकता।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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