श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 31: रावण का अकम्पन की सलाह से सीता का अपहरण करने के लिये जाना और मारीच के कहने से लङ्का को लौट आना  »  श्लोक 24-25
 
 
श्लोक  3.31.24-25 
 
 
असौ रामस्तु सीदन्तीं श्रीमानभ्युद्धरेन्महीम्॥ २४॥
भित्त्वा वेलां समुद्रस्य लोकानाप्लावयेद् विभु:।
वेगं वापि समुद्रस्य वायुं वा विधमेच्छरै:॥ २५॥
 
 
अनुवाद
 
  श्री राम समुद्र में डूब रही पृथ्वी को ऊपर उठा सकते हैं। वे समुद्र की सीमाओं को तोड़कर सभी लोकों को उसके जल से भर सकते हैं। वे अपने बाणों से समुद्र के वेग या वायु को भी मिटा सकते हैं।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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